विदेश में पढ़ाई करने का फैसला आम तौर पर काफी रिसर्च के बाद लिया जाता है। बड़ी राशि का खर्च होना इसके पीछे की बड़ी वजह होती है। विदेश में पढ़ना विद्यार्थियों के लिए रोचक अनुभव होता है, लेकिन वे दूसरे देश में अपना ख्याल रखने के लिए अकेले होते हैं लिहाजा इसमें चुनौतियां भी खूब होती हैं। लेकिन, तब क्या होता है जब आप पासपोर्ट खोने, फ्लाइट मिस करने या आपातकालीन मेडिकल खर्च जैसे अप्रिय वाकयों से रू-ब-रू होते हैं? ऐसी परिस्थितियों में स्टूडेंट ट्रैवल इंश्योरेंस काफी मददगार साबित हो सकता है। भारतीय छात्रों के लिए पसंदीदा कई देशों में यह इंश्योरेंस अनिवार्य भी है। कुछ ऐसे पहलू हैं जिन पर विचार कर आप एक अच्छे स्टूडेंट ट्रैवल इंश्योरेंस का चुनाव कर सकते हैं। स्टूडेंट ट्रैवल इंश्योरेंस को इस तरह डिजाइन किया जाता है कि यह विदेश में पढ़ने वाले छात्रों के अधिकांश जोखिम को कवर करे। इसमें विदेश प्रवास के दौरान स्वास्थ्य और ट्रैवल से जुड़े जोखिम को कवर किया जाता है। साथ ही यह टाली न जा सकते वाली परिस्थितियों में छात्रों के परिवार के लिए भी कवर प्रदान करता है।
इससे जुड़ी खास बातें...
यह आम ट्रैवल इंश्योरेंस से कैसे अलग होता है
- आम ट्रैवल इंश्योरेंस कम समय के लिए कवरेज देता है। वहीं, स्टूडेंट ट्रैवल इंश्योरेंस कई महीनों और साल का हो सकता है। इनमें प्रमुख अंतर यह होता है कि ट्रैवल इंश्योरेंस सिर्फ यात्रा से जुड़े जोखिमों को कवर करता है। वहीं, स्टूडेंट ट्रैवल इंश्योरेंस यात्रा के साथ-साथ एकेडमिक जोखिमों को भी कवर करता है।
- इनमें टाली न जा सकने वाली परिस्थितियों में स्कूलिंग छूटने पर ट्यूशन फीस देना, पॉलिसी होल्डर के एक सप्ताह से अधिक समय के लिए हॉस्पिटलाइजेशन की स्थिति में परिवार के एक सदस्य के ठहरने का खर्च उठाना, मेडिकल और डेंटल ट्रीटमेंट का खर्च देना आदि शामिल हैं।
- यह सभी जानते हैं कि विदेश में पढ़ाई करना महंगा है। लेकिन, इससे भी महंगा है विदेश में इलाज करवाना। भारत में 150 से 300 रुपए में आप डॉक्टर से दिखवा सकते हैं। विदेश में यह राशि 250 से 300 डॉलर (18 से 21 हजार रुपए) तक जा सकती है। ऐसी स्थिति से निबटने के लिए स्टूडेंट ट्रैवल इंश्योरेंस काफी मददगार होते हैं। इसके अलावा अब विदेशों की कई महत्वपूर्ण यूनिवर्सिटी ने इस तरह का इंश्योरेंस होना अनिवार्य कर दिया है।
अच्छे इंश्योरेंस का चयन कैसे करें
- स्टूडेंट ट्रैवल इंश्योरेंस के लिए ज्यादातर विदेशी यूनिवर्सिटी के अपने-अपने गाइडलाइन हैं। आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आप इन गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए ही पॉलिसी खरीदें। इसके अलावा यह ध्यान भी रखें कि कौन सी पॉलिसी आपकी सभी जरूरतों को पूरा कर सकती है।
- यूनिवर्सिटी भी चाहती है कि वहां पढ़ने वाले छात्रों के पास इस तरह की व्यापक कवरेज हो। स्टूडेंट ट्रैवल इंश्योरेंस का क्लेम सेटलमेंट भी आम तौर पर सरल और आसान होता है। कैशलेस सेटलमेंट के तहत क्लेम सीधे हॉस्पिटल को दिया जा सकता है। ऐसा तब होता है जब खर्च 500 डॉलर (करीब 35000 रुपए) से ज्यादा हो। क्लेम आम तौर पर दावे के सात वर्किंग दिनों के अंदर सेटल कर दिया जाता है।